आज फिर इस कलाम से दोस्ती की है,
एहसासों की स्याही से दिल के अरमानों को संजोया है ,
इस दौर के बदलते रिश्तों की सच्चाई को पहचाना है ,
हर राह पे बदलते रिश्तों को देखा है ,
हर चेहरे को अपनी कहानी कहते हुए देखा है ,
दिलों को टूटते हुए देखा है ।।
और क्या सच्चाई लिखूं इस दौर के बदलते रिश्तों की,
जहाँ हर भरोसे को एक धोखे ने घेरा है,
जहाँ हर सच पे एक झूठ का पहरा है ।।
जहाँ हर आंसू को एक मुस्कुराहट ने छुपाया है 😊
यहाँ रिश्तों की कब्र को खुद रिश्तों ने सजाया है ।।
बदल गए हैं रिश्तों के मायने यहाँ ।।
क्यों हर रिश्ते से मुँह मोड़ लेने को जी चाहता है ,
दुनिया की इस हक़ीक़त का सामना कर लेने को जी चाहता है ,
राह में चलते उन चेहरों से जी चुराने का दिल करता है,
शायद थक गया है वो शक्श दुनिया के साथ चलते चलते ,
खुदकी तालाश में निकल जाने को जी चाहता है ।।
गुजरते हुए उन राहों से ,
तन्हाई के साये में ,
वो चेहरे नजर आते हैं जो कहते थे ,
साथ चलेंगे हर राह में ,
आज उन्ही राहों पे तन्हा चलना है ।।
चल पड़ा एक ऐसे सफर पर,
जहाँ हर राह में रिश्तों की बेड़ियाँ हैं ,
हर कदम पे नया इम्तेहान है ,
हर उम्मीद से कशमकश है,
दिल और दिमाग की ऐसी जंग,
जहाँ हर शक्श एक मोहरा है ।।
राह में मुश्किलें कई हैं पर ,
जीतना जग सारा है ।।
ना हारे थे कभी ना हारेंगे कभी ,
शपथ है खुद से लड़ेंगे अपने कल से ,
बनाएंगे नए रास्ते हर जंग जीत जाएंगे ,
मन में ठान लिया है उसने ,
जीतना जग सारा है ।।
No comments:
Post a Comment
Thanks For Visiting .... You can rate us ...