1• बहुत रोया होगा वो खाली कागज देखकर,
खत मे पूछा था उसने जिंदगी कैसे बीत रही है ।।
2• मैं तेरे हाथ पे रच जाऊँ रंगो की तरह
ओ सनम
तू कभी मुझे हाथों पे सजा कर तो देख ।।
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3• अभी शीशा हूँ, सबकी आँखों में चुभता हूं...
जब आईना बनूँगा, सारा जहाँ देखेगा 😊 ।।
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4• "जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन...
क्यूंकि एक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले ।।
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5• पाँव सूखे हुए पत्तों पे अदब से रखना....
धूप में माँगी थी तुमने पनाह इनसे कभी ।।
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6• पुरानी होकर भी खास होती जा रही है ...
मोहब्बत बेशरम है बेहिसाब होती जा रही है ।।
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7• बदनाम क्यों करते हो तुम इश्क़ को , ए दुनिया वालो
महबूब तुम्हारा बेवफा है ,तो इश्क़ का क्या कसूर...!!....
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8• तेरी नफरत पे भी लूटा दी जिन्दगी मैने
सोच ......
अगर तू मोहब्बत करता तो क्या करते ।।
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9• कोई चेहरे का दीवाना तो किसी को तन की तलब,
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अदाएँ पीछा करवाती है साहब आजकल मोहब्बत कौन करता है ।।
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10• इतना ही गुरुर था तो मुकाबला इश्क का करती
ऐ बेवफा
हुस्न पर क्या ईतराना जिसकी औकात ही बिस्तर तक हो ।
11•बहुत जल्दी सीख लेते हैं..जीवन के सबक ,
गरीब के बच्चे..बात बात पर जिद नही करते ।।
12• कुछ इस तरह उस फ़कीर ने "जिंदगी की मिसाल दी",
मुठी में धूल ली और हवा में उछाल दी ।।
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