Sunday 8 May 2016

Happy Mothers Day Shayri In Hindi

सुना है आज ‪Mothers Day है...
मेरी इतनी औकात कहा" की "माँ" बारे में कुछ लिख सकूं
क्योकि "माँ" ने ही तो मुझे लिखना सिखाया है
लेकिन अपनी समझ से इतना जरूर बोलूंगा
"माँ"के बारे जितना लिखा जाये उतना कम है ।
1• माँ तो जन्नत का फूल है ,
प्यार करना उसका उसूल है ।
दुनिया की मोहब्बत फज़ूल है ,
माँ की हर दुआ कुबूल है ।।
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है ,
माँ के कदमो की मिट्टी स्वर्ग की धूल है ।।।

2• माँ है मोहब्बत का नाम,
उस माँ को हज़ारों सलाम ।
कर दे फ़िदा ज़िन्दगी,
आये जो बच्चो के नाम ।।

3• खुश चेहरे के पीछे छिपा दर्द जान लेती है,
एक माँ ही है,
जो हमेशा बच्चों के दिल का हाल जान लेती है ।।

4•  मेरी सारी गलतियों को वो माफ करती है ,
बहुत गुस्से में होकर भी मुझसे प्यार करती है ।
उसके होंठो पे सदा दुआ होती है ,
ऐसा करने वाली सिर्फ और सिर्फ माँ होती है ।।


5• माँ ना होगी तो वफ़ा कौन करेगा !
ममता का हक़ अदा कौन करेगा !
भगवान् हर माँ को सलामत रखना ,
वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा ।।

6• मंजिल दूर और सफ़र बहुत है ,
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है ।
मार डालती ये दुनिया कब की हमे ,
लेकिन "माँ" की दुआओं में असर बहुत है ।।

7• फूल में जिस तरह खुशबू अच्छी लगती है,
.
मुझको उस तरह मेरी माँ अच्छी लगती है।।

8• माँ की ममता होती है स्नेह भरी ,
माँ जैसे इस दुनिया में दूजा नहीं ।
रखना सदा माँ को सर आँखों पर ,
कोई भी चीज़ नहीं है दुनिया में माँ से बड़ी ।।

9• दास्तान मेरे लाड़-प्यार की बस ,
एक हस्ती के गिर्द घूमती है ।
प्यार जन्नत से इसलिए है मुझे,
क्योंकि ये भी मेरी माँ के क़दम चूमती है ।।

10• कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती,
सब कुछ मिल जाता है लेकिन “माँ” नहीं मिलती ।
माँ-बाप ऐसे होते हैं दोस्तों जो ज़िन्दगी में फिर नहीं मिलते,
खुश रखा करो उनको फिर देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती ।।

11• मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारो ,
.
सुबह देखा तो सर माँ के कदमो में था  ।।

12• ऊपर जिसका अंत नहीं उसे "आसमाँ " कहते हैं ,
 नीचे जिसका अंत नहीं उसको "माँ" कहते हैं ।।


13• हर रिश्ते में मिलावट देखी ,
कच्चे रंगो की सजावट देखी ।
सालों साल देखा माँ को,
उसके चेहरे पर ना थकावट देखी,
और ना ममता में मिलावट देखी ।।

14• माँ कहती हैं बिल्ली रास्ता काटे तो रुक जाना ,
 मैं रुक जाता हूँ ।
अंधविश्वास को नहीं मानता
मैं "माँ" को मानता हूँ ।।

15• पूछा था मैंने भगवान से स्वर्ग का पता ,
तो अपनी गोद से उतारकर भगवान ने माँ की बाहों में दिया सुला ।।

16• पता नहीं क्या जादू है माँ के पैरों में ,
 जितना झुकता हूँ , उतना ही ऊपर जाता हूँ ।।

17• मैं क्या लिखूँ ,
जिसकी कद्र जमाना करे ।
ये सोच कर ,
आज "माँ" लिख दिया ।।

18• हजार के नोटों से तो बस अब जरूरत पूरी होती है,
मजा तो " माँ " से मांगे एक रूपये के सिक्के में था ।।

19• माँ के हाथो में जादू है किस्मत सँवारने का,
फिर वो हाथ चाहे सिर पर फिरे या फिर गालो पर


20• ना अपनों से खुलता है, ना ही गैरों से खुलता है,
 ये जन्नत का दरवाज़ा है, माँ के पैरो से खुलता है
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